Sunday, July 19, 2009

पत्रकारिता



पत्रकारिता (journalism) आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, रिपोर्ट करना, सम्पादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं। आज के युग में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं; जैसे - अखबार, पत्रिकायें, रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता आदि।




इतिहास
लगता है कि विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन 131 ईस्वी पूर्व रोम href="http://hi.wikipedia.org/wiki/रोम">रोम में हुआ था। उस साल पहला दैनिक समाचार-पत्र निकलने लगा। उस का नाम था – “Acta Diurna” (दिन की घटनाएं). वास्तव में यह पत्थर की या धातु की पट्टी होता था जिस पर समाचार अंकित होते थे ये पट्टियां रोम के मुख्य स्थानों पर रखी जाती थीं और इन में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति, नागरिकों की सभाओं के निर्णयों और ग्लेडिएटरों की लड़ाइयों के परिणामों के बारे में सूचनाएं मिलती थीं।
मध्यकाल में यूरोप href="http://hi.wikipedia.org/wiki/यूरोप">यूरोप के व्यापारिक केंद्रों मेंसूचना-पत्रनिकलने लगे। उन में कारोबार, क्रय-विक्रय और मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव के समाचार लिखे जाते थे। लेकिन ये सारेसूचना-पत्रहाथ से ही लिखे जाते थे।
15वीं शताब्दी के मध्य में योहन गूटनबर्ग ने छापने की मशीन का आविष्कार किया। असल में उन्होंने धातु के अक्षरों का आविष्कार किया। इस के फलस्वरूप किताबों का ही नहीं, अख़्बारों का भी प्रकाशन संभव हो गया।
16वीं शताब्दी के अंत में, यूरोप के शहर स्त्रास्बुर्ग में, योहन कारोलूस नाम का कारोबारी धनवान ग्राहकों के लिये सूचना-पत्र लिखवा कर प्रकाशित करता था। लेकिन हाथ से बहुत सी प्रतियों की नक़ल करने का काम महंगा भी था और धीमा भी। तब वह छापे की मशीन ख़रीद कर 1605 में समाचार-पत्र छापने लगा। समाचार-पत्र का नाम थारिलेशन यह विश्व का प्रथम मुद्रित समाचार-पत्र माना जाता है।




भारत में पत्रकारिता का आरंभ
छापे की पहली मशीन भारत में 1674 में पहुंचायी गयी थी। मगर भारत का पहला अख़बार इस के 100 साल बाद, 1776 में प्रकाशित हुआ। इस का प्रकाशक ईस्ट इंडिया कंपनी" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/ईस्ट_इंडिया_कंपनी">ईस्ट इंडिया कंपनी का भूतपूर्व अधिकारी विलेम बॉल्ट्स था। यह अख़बार स्वभावतः अंग्रेज़ी भाषा में निकलता था तथा कंपनी सरकार के समाचार फैलाता था।
सब से पहला अख़बार, जिस में विचार स्वतंत्र रूप से व्यक्त किये गये, वह 1780 में जेम्स ओगस्टस हीकी का अख़बारबंगाल गज़ेट (अब तक बनाया नहीं)" href="http://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%97%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A5%87%E0%A4%9F&action=edit&redlink=1">बंगाल गज़ेटथा। अख़बार में दो पन्ने थे, और इस में ईस्ट इंडिया कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की व्यक्तिगत जीवन पर लेख छपते थे। जब हीकी ने अपने अख़बार में गवर्नर की पत्नी का आक्षेप किया तो उसे 4 महीने के लिये जेल भेजा गया और 500 रुपये का जुरमाना लगा दिया गया। लेकिन हीकी शासकों की आलोचना करने से पर्हेज़ नहीं किया। और जब उस ने गवर्नर और सर्वोच्च न्यायाधीश की आलोचना की तो उस पर 5000 रुपये का जुरमाना लगाया गया और एक साल के लिये जेल में डाला गया। इस तरह उस का अख़बार भी बंद हो गया।
सन् 1790 के बाद भारत में अंग्रेज़ी भाषा की और कुछ अख़बार स्थापित हुए जो अधिक्तर शासन के मुखपत्र थे। पर भारत में प्रकाशित होनेवाले समाचार-पत्र थोड़े-थोड़े दिनों तक ही जीवित रह सके।
1819 में भारतीय भाषा में पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ था। वह बंगाली भाषा का पत्र – ‘संवाद कौमुदी (अब तक बनाया नहीं)" href="http://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6_%E0%A4%95%E0%A5%8C%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%80&action=edit&redlink=1">संवाद कौमुदी’ (बुद्धि का चांद) था। उस के प्रकाशक राजा राममोहन राय" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/राजा_राममोहन_राय">राजा राममोहन राय थे।
1822 में गुजराती href="http://hi.wikipedia.org/wiki/गुजराती">गुजराती भाषा का साप्ताहिकमुंबईना समाचारप्रकाशित होने लगा, जो दस वर्ष बाद दैनिक हो गया और गुजराती के प्रमुख दैनिक के रूप में आज तक विद्यमान है। भारतीय भाषा का यह सब से पुराना समाचार-पत्र है।
1826 मेंउदंत मार्तण्ड" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/उदंत_मार्तण्ड">उदंत मार्तण्डनाम से हिंदी href="http://hi.wikipedia.org/wiki/हिंदी">हिंदी के प्रथम समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। यह साप्ताहिक पत्र 1827 तक चला और पैसे की कमी के कारण बंद हो गया।
1830 में राममोहन राय ने बड़ा हिंदी साप्ताहिकबंगदूत (अब तक बनाया नहीं)" href="http://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%A6%E0%A5%82%E0%A4%A4&action=edit&redlink=1">बंगदूतका प्रकाशन शुरू किया। वैसे यह बहुभाषीय पत्र था, जो अंग्रेज़ी, बंगला, हिंदी और फारसी में निकलता था। यह कोलकाता से निकलता था जो अहिंदी क्षेत्र था। इस से पता चलता है कि राममोहन राय हिंदी को कितना महत्व देते थे।
1833 में भारत में 20 समाचार-पत्र थे, 1850 में 28 हो गए, और 1953 में 35 हो गये। इस तरह अख़बारों की संख्या तो बढ़ी, पर नाममात्र को ही बढ़ी। बहुत से पत्र जल्द ही बंद हो गये। उन की जगह नये निकले। प्रायः समाचार-पत्र कई महीनों से ले कर दो-तीन साल तक जीवित रहे।
उस समय भारतीय समाचार-पत्रों की समस्याएं समान थीं। वे नया ज्ञान अपने पाठकों को देना चाहते थे और उसके साथ समाज-सुधार की भावना भी थी। सामाजिक सुधारों को लेकर नये और पुराने विचारवालों में अंतर भी होते थे। इस के कारण नये-नये पत्र निकले। उन के सामने यह समस्या भी थी कि अपने पाठकों को किस भाषा में समाचार और विचार दें। समस्या थीभाषा शुद्ध हो या सब के लिये सुलभ हो? 1846 में राजा शिव प्रसाद ने हिंदी पत्रबनारस अख़बारका प्रकाशन शुरू किया। राजा शिव प्रसाद (अब तक बनाया नहीं)" href="http://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE_%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%B5_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6&action=edit&redlink=1">राजा शिव प्रसाद शुद्ध हिंदी का प्रचार करते थे और अपने पत्र के पृष्ठों पर उन लोगों की कड़ी आलोचना की जो बोल-चाल की हिंदुस्तानी के पक्ष में थे। लेकिन उसी समय के हिंदी लेखक भारतेंदु हरिशचंद्र (अब तक बनाया नहीं)" href="http://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%81_%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0&action=edit&redlink=1">भारतेंदु हरिशचंद्र ने ऐसी रचनाएं रचीं जिन की भाषा समृद्ध भी थी और सरल भी। इस तरह उन्होंने आधुनिक हिंदी की नींव रखी और हिंदी के भविष्य के बारे में हो रहे विवाद को समाप्त कर दिया। 1868 में भरतेंदु हरिशचंद्र ने साहित्यिक पत्रिकाकविवच सुधानिकालना प्रारंभ किया।
1854 में हिंदी का पहला दैनिकसमाचार सुधा वर्षणनिकला।


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